धोखेबाज किसान की कहानी Dhokebaaz Kisan Kee Kahaanee

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं एक चालक धोखेबाज किसान की कहानी कैसे यह किसान अपने करीबी रिश्तेदार को बड़ी चालाकी से धोखा देता है और अंत में इस किसान को अपने किए की सजा किस कदर भुगतना पड़ती है आईए जानते हैं विस्तार से इस आर्टिकल के माध्यम से  ( dhokhebaaj kisaan kee kahaanee

धोखेबाज किसान की कहानी Dhokebaaz Kisan Kee Kahaanee

धोखेबाज किसान की कहानी  The story of the deceitful farme

एक गांव में राम सिंह नाम का एक बड़ा ही शातिर किसान  रहा करता था अपने बड़े भाई रामवीर की मृत्यु के बाद उसने अपनी भाभी संध्या और उनके तीन बच्चों की जिम्मेदारी अपने सर ले ली उसने अपनी भाभी का दिल जीतने के लिए उनके लिए सब कुछ किया | 

जैसे कि उनके लिए घर बनवाना खाने पीने पढ़ने  की व्यवस्था करना और आदि पर संध्या को यह कहां पता था कि  इतना वो हम सब के लिए क्यू कर रहा हैं  इसके पीछे इसका इसका स्वार्थ क्या  है वह पूरी तरह से अपने देवर राम सिंह पर आंख बंद करके भरोसा करने लगी थी | 

वक्त तेजी के साथ बीत रहा था बच्चे देखते-देखते बड़े होते जा रहे थे संध्या का बड़ा बेटा राजू 18 का हो चुका था तभी राम सिंह कहता है की भाभी हमें राजू की जल्दी शादी कर देना चाहिए कम से कम तुम्हारी बहु तुम्हें अपने हाथों से गरमा गरम खाना तो बना कर खिलाएगी मुझसे  आपका यह दुख देखा नहीं जाता की आप अकेले इतना काम करते हो  आपको सपोर्ट करने के लिए कोई तो चाहिए |

संध्या ने कहा कि हम राजू की शादी कैसे कर देंगे उसके लिए तो काफी पैसे की जरूरत पड़ेगी और हमारे पास कमाई करने के लिए सिर्फ तीन बीघा जमीन है जो तुम्हारे भैया इन तीनों बच्चों के लिए छोड़ कर गए हैं यदि मैं खेती बैच  दूंगी तो बाकी बच्चों का क्या करूंगी कैसे उनकी परवरिश करूंगी |  

तब राम सिंह कहता है की भाभी आपको जमीन बेचने की जरूरत नहीं हम इस जमीन को गिरवी रखकर कुछ पैसा ब्याज पर ले लेंगे और कुछ सालों में ब्याज सहित लौटा देंगे इससे हमारा भी काम हो जाएगा और सामने वाले का भी काम हो जाएगा संध्या कहती है | 

हा पर हमें पहले राजू से भी तो पूछना पड़ेगा की वो शादी के लिए तैयर हैं या नहीं क्यू  कि अभी तो राजू खुद छोटा है वह शादी के लिए राजी कैसे होगा तब राम सिंह गुस्से में कहता है भाभी  यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगी तो दोबारा मुझसे  मदद की उम्मीद मत करना मैंने राजू के लिए एक लड़की देखि हैं मेरी बात मत ख़राब करवाना वह संध्या पर दबाव बनाने लगता है मजबूरी में  संध्या राम सिंह की बातों में आ जाती है और राजू की शादी के लिए हां कर देती है | 

अब राम सिंह बड़ी चालाकी से संध्या की जमीन अपने बहनोई पहलाद को गिरवी रखने को कह देता है मात्र ₹50,000 में जिस जमीन की कीमत ₹5,00000 बीघा होती है संध्या  पढ़ी-लिखी नहीं होती है राम सिंह की बातों में आकर वह जमीन के पेपर पर कहे अनुसार अंगूठा लगा देती हैं राम सिंह कहता है कि हम 1 साल के बाद ₹50000 ब्याज सहित लौट कर अपनी जमीन वापस ले लेंगे या आश्वासन वह अपनी भाभी संध्या को देता है | The story of the deceitful farmer

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धोखेबाज किसान की कहानी  The story of the deceitful farme

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संध्या वह पैसे लेकर घर आ जाती है और अपने बड़े बेटे राजू की शादी की तैयारी में जुट जाती है बड़ी खूब जोरों शोरों पर शादी की तैयारी होती है राम सिंह कोई भी कसर नहीं छोड़ता है पैसा खर्च करने में वह पूरे गांव का निमंत्रण दे देता है |  

और सबसे यह कहता है कि मैं अपने भतीजे की शादी खुद अपने पैसे से कर रहा हूं सारी व्यवस्था में खुद देख रहा हूं और राम सिंह थोड़ा बहुत पैसा भी अपनी तरफ से लगता है जहां 10 लगते हैं वहां वह अपनी भाभी संध्या को 20 बता देता है और आगे चलकर वह ब्याज सहित पैसा वसूल करता है | 

शादी बड़ी अच्छी तरह से खत्म हो जाती है सब लोग बड़े खुश होते हैं जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे कर्ज देने का वक्त करीब आ रहा था शुरू के 2 साल संध्या सिर्फ पैसों का ब्याज ही दे पाती है पर जमीन छुड़ा नहीं पाती है क्योंकि शादी के बाद जिम्मेदारियां खूब बढ़ चुकी होती है और खर्च दिन पर दिन बढ़ते जा रहे थे राजू भी सिर्फ 20 साल का था वह क्या ही करता संध्या के के तीनो बचे अभी बहुत छोटे थे  | 

संध्या  दिन रात मेहनत कर रही थी पर उसे उतना रिटर्न नहीं मिल पा रहा था और वह कर्ज के बोझ तली दबती जा रही थी  वक्त तेजी से भाग रहा था अब कर्ज को लिए हुए 7 साल बीत चुके होते हैं टेंशन मैं संध्या काफी बीमार रहने लगी थी 

अब राजू भी 25 का हो चुका था वह भी अपनी मां की मदद करने के लिए ₹5000 महीने की नौकरी करने लगा था 2 साल मेहनत करने के बाद काफी पैसा जोड़ लेता है राजू  मां से कहता है की मां अब हम अपनी जमीन छुड़ा लेंगे तो टेंशन ना ले मैं सब कुछ सही कर दूंगा |   ( Dhokebaaz Kisan Kee Kahaanee ) 

जब 1 साल और बीत चुका होता है कर्ज लिए 10 साल हो जाते हैं तब संध्या और राजू राम सिंह से जमीन छुड़ाने की बात करते हैं तब राम सिंह बात को घूमाने  लगता है और कहता है कि हां आज चलेंगे कल चलेंगे अभी मेरा बहनोई बाहर है वह जैसी ही  आएगा  हम उसके पास चलेंगे | 

धोखेबाज किसान की कहानी  The story of the deceitful farme

टालते टालते और देखते-देखते 6 महीने बीत जाते हैं संध्या एहसान तले दबी हुई थी राम सिंह के इसलिए वह ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रही  थी और राजू गर्म  दिमाग का था वह कब तक अपने मां के आंसू पूछता रहता एक दिन वह खुद प्रहलाद फूफा जी के यहां  मां  को बिन बताएं चला जाता है और कहता है कि आपका और मेरा क्या हिसाब है मुझे बताओ और मेरी जमीन मुझे वापस दो | 

तब प्रहलाद फूफा कहता है कि कौन सी जमीन कैसी जमीन राम सिंह ने जो हमें जमीन दी है वह तो हमने ₹50.000 में खरीदी है यह रहे जमीन की रजिस्ट्री और यह रहे कागज जिस पर तुम्हारी मां ने अंगूठा लगाया था  राजू इस चीज को बर्दाश्त नहीं कर पता है |  धोखेबाज किसान की कहानी

और वह अपने फूफा प्रहलाद से खूब लड़ता है इतने में प्रहलाद का बेटा मनीष बीच में आ जाता है और उसकी राजू के साथ खूब मारपीट होती है बदले में राजू भी उसे खूब मारता है तानाशाही में प्रहलाद राजू के ऊपर बंदूक तान देता है जैसे तैसे करके राजू वहां से अपनी जान बचाकर भागता है और वापस अपने घर आ जाता है |

घर आकर  राजू ने अपनी मां संध्या को एक-एक बात बताई और कहा कि यह सारी धोखेबाजी चालबाजी की चाल राम सिंह ने चली है उसे सब कुछ पता था उसने हमें झूठ कहा और हमें धोखा दिया संध्या करती तो क्या ही करती वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी राम सिंह उल्टा उन पर ही चढ़  रहा था |

और बोल रहा था कि 8 साल से तुमने ब्याज टाइम पर नहीं दिया इसलिए वह जमीन उन्होंने रख ली संध्या ने कहा हमने टाइम पर नहीं दिया तो क्या हुआ पर पैसा तो पूरा दिया है एक-एक पैसे का हिसाब हमने तुम्हें दिया है तुमने जितना पैसा मांगा है उतना पैसा हमने लाकर तुम्हें दिया है और तुमने हमारे साथ विश्वास घात किया है अब हम तुम्हारे साथ नहीं रह सकते ऐसा करके उन दोनों में खूब बहस होती है कुछ समय के बाद संध्या अपने तीनों बच्चों को लेकर शहर चली जाती है | Dhokhebaaj Kisaan Kee Kahaanee

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धोखेबाज किसान की कहानी  The story of the deceitful farme

शहर आकर वह एक छोटी सी किराने की दुकान चलाती  है और अपने बच्चों को सही परवरिश और पढ़ाने  लगती है सब कुछ अच्छा चल रहा होता है समय बड़ी तेजी से बीत रहा था आपस में रिश्ते वापस सही होते जा रहे थे संध्या अपनी छोटी बहन की वजह से  और अपने बुरे वक्त में राम सिंह ने मदद की थी इस बात बात को याद करके उसका एहसान मानकर वह राम सिंह को माफ कर देती है | 

पर संध्या का बड़ा बेटा राजू वह अब भी आग की लैक्टो में जल रहा था और वह राम सिंह से बदला लेने और उसे सबक सिखाने की  फिराख मैं था वह तो बस मौका ढूंढ रहा था राजू  राम सिंह से बात जरूर करता था पर अपनी मां के साथ हुए धोखे का वह बदला लेना चाहता था वह जब भी उस पल को याद करता अंदर ही अंदर रोने लगता की कितनी मेहनत से मेरे पिताजी ने वह जमीन कमाई थी |  

अब संध्या की बड़ी बेटी श्रद्धा भी शादी के लायक हो चुकी थी पर संध्या की भी उम्र बढ़ती हुई जा रही थी और वह बीमारी पकड़ लेती है जब वह डॉक्टर को दिखाती है तो उसे पता चलता है कि उसे टीवी की बीमारी है समय रहते ठीक से इलाज न किया तो वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाएगी |

संध्या यह सब कुछ जानती थी पर वह फिर भी अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर रही थी बस उसकी एक ही ख्वाहिश थी कि वह अपने जीते जी अपनी बड़ी बेटी की शादी कर दे वह कई सारे रिश्ते अपनी बेटी के लिए देखने लग जाती है और दहेज की ज्यादा डिमांड होने की वजह से वह अपनी बेटी की शादी कर नहीं पाती |

धोखेबाज किसान की कहानी

पर एक दिन संध्या के बगल के गांव से ही श्रद्धा के लिए उसके मामा जी रिश्ता लेकर आते हैं और संध्या इस रिश्ते के लिए हां कर देती है1 साल के बाद संध्या शादी करने का वादा करती है पर संध्या को कहां पता था की समय इतनी तेजी से बदल जाएगा साल भर करीब आते संध्या की मृत्यु हो जाती है |

संध्या की मृत्यु के बाद पूरा परिवार बुरी तरह से टूट जाता है अब सारी जिम्मेदारी राजू के सर पर  आ जाती हैं राजू काफी पैसे लगा  चुका होता है अपनी मां के इलाज में  फिर भी वह अपनी मां को बचा नहीं पाता  है पर उसे अपने बड़े भाई होने का फर्ज भी निभाना था उसे अपनी छोटी बहन श्रद्धा की शादी बड़ी धूमधाम से जो करनी थी मां की ख्वाहिश को पूरा जो करना था | 

किसी भी कारण वर्ष शादी टूट न जाए इसलिए वह 6 महीने का और समय मांगता है और  काफी पैसे मां के इलाज में लगाने के बाद राजू के पास कुछ भी नहीं बचता मजबूरी में वह राम सिंह से शादी के लिए ₹500000 मांगता है बड़ी मिन्नतों के बाद राम सिंह राजू को ₹300000 देता है 

और ₹200000 वह अपने बहनोई  प्रहलाद से दिलाता है पूरे 2% ब्याज के साथ और साथ ही साथ कहता है कि यह पैसा जल्द लौटा देना वरना तुम्हारी बाकी की जमीन डूब जाएगी राजू अपनी बहन की शादी बड़ी धूमधाम से करता है और अपनी मां की आखिरी इच्छा पूरी करता है | 

धोखेबाज किसान की कहानी

अब राजू की बारी आती है राम सिंह को पैसे देने की राजू भी शुरू में ब्याज ही ब्याज देता रहता है वह भी समय पर नहीं देता  और ऐसा करते-करते उसे भी 7 साल हो जाते हैं फिर राम सिंह को समझ में आने लगता है कि राजू मुझे अब पैसे नहीं देगा इसलिए वह राजू से पूरे पैसे मांगने लगता है और कहता है कि मुझे घर बनाना है मुझे पैसे की जरूरत है चाहे तू कुछ भी कर कैसे भी कर मुझे पैसे चाहिए और वह राजू को 6 महीने का समय देता है |

धोखेबाज किसान की कहानी  The story of the deceitful farme

6 महीने के बाद राजू सिर्फ राम सिंह को ₹100000 देता है और कहता है कि मैं बाद में दूंगा जब आएंगे तब राम सिंह को कहां बरदास होता वह  राजू से लड़ने लगता है दोनों में खूब युद्ध होता है फिर राजू पैसे देने के लिए साफ-साफ मना कर देता है | 

और कहता है की जा तुमसे जो करते बन कर लेना तुमने मेरी माँ के साथ गलत किया तो मैंने भी तुम्हारे साथ गलत किया तुमने मुझे गलत करने पर मजबूर किया तुमने हमारे साथ विश्वास घात किया जैसे को तैसा  तब राजू उनसे कहता है कि अब समझ में आया किसी के साथ गलत करने का नतीजा क्या होता है तुमने आज मेरे साथ गलत ना किया होता तो मुझे तुम्हारे साथ गलत करने की जरूरत ना पड़ती तुमने हमारे भरोसे का हमारी मासूमियत का फायदा उठाया है

राजू ने राम सिंह को बड़ा अच्छा ही सबक सिखाया राम सिंह को अपनी गलती का एहसास हुआ की जैसी करनी वैसी भरनी और वह राजू से हाथ जोड़कर कहता है कि मैं आज के बाद कभी किसी का गलत फायदा नहीं उठाऊंगा और ना ही किसी को धोखा दूंगा

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सिख मोरल ऑफ द स्टोरी धोखेबाज किसान की कहानी

“ संध्या की तरह आप भी किसी के ऊपर आंख बंद करके भरोसा कभी ना करें यदि कोई आपकी मदद कर रहा है तो उसके पीछे का स्वार्थ को समझे और धोखे के शिकार होने से खुद को बचाएं सबक एक को सिख हम सबको “ 

यदि कोई इंसान तुम पर आंख बंद करके भरोसा करता है तो उसे बेवकूफ समझने की कोशिश मत करो बल्कि यह समझो कि वह तुम पर कितना भरोसा करता है और तुम्हें कितना ज्यादा मानता है  यदि आज तुम उसे धोखा दोगे उसके भरोसे को तोड़ोगे तो एक दिन यह वक्त भी तुम्हें उसी मोड़ पर लाकर खड़ा कर देगा | 

निष्कर्ष 

“ प्रेणना “ 

धोखा देना एक कर्ज के समान है जिसे तुम्हें आगे चलकर ब्याज सहित चुकाना पड़ता है इसलिए जो भी कदम उठाओ सोच समझ कर उठाओ और थोड़ी सी इंसानियत अपने अंदर बचा कर रखो किसी की मदद नहीं कर सकते तो किसी का कम से कम गलत फायदा तो मत उठाओ | 

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह रियल लाइफ स्टोरी धोखेबाज किसान की कहानी जरूर पसंद आई होगी यदि आपको पसंद आती है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ सांझा जरूर करें ताकि वह भी इस कहानी से कुछ शिक्षा ग्रहण कर सके ऐसी ही इंस्पिरेशन प्रेरणादायक मोरल स्टोरी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब कर सकते हैं हमारी वेबसाइट है www.ganeshkushwah.com 

“ अपना बेहद कीमती समय हमें देने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद “ 

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