ज्ञान हमेशा झुककर लो Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं  नमस्कार मित्रों आज हम लेकर आए हैं Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani,  ज्ञान हमेशा झुककर लो  इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ सांझा कर रहे हैं इस कहानी का सारांश यह है की ज्ञान कैसे प्राप्त करना चाहिए और ज्ञान लेने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ज्ञान के बिना सब कुछ अधूरा है तो आइए  अधिक जानते हैं  इस आर्टिकल में ( ज्ञान हमेशा झुककर लो कहानी )  

Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani 

ज्ञान हमेशा झुककर लो Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani (1)

 एक नगर में शास्त्रों का सबसे ज्यादा अधिक ज्ञान रखने वाला एक विख्यात पंडित था बगल के गांव में ही एक साधु के पास ज्ञान लेने के लिए जाता है और साधु से कहता है कि हे गुरु जन मैं सच्चाई के रास्ते पर चल रहा हूं और सत्य का मार्ग दर्शन कर रहा हूं और सत्य खोजने में लगा हूं कृपया आप मुझे सत्य खोजने का रास्ता दिखाइए,

साधु ने पंडित से पूछा कि तुम हो कौन,

विख्यात पंडित कहता है कि  गुरु जन आप मुझे नहीं जानते पर मैं आपको भली-भांति अच्छे से जानता हूं आपके बारे में मैंने कई किस्से सुने हैं वैसे मैं एक विख्यात पंडित हूं सारे शास्त्रों का सभी का मुझे अच्छा खासा ज्ञान है,

 मैं जिस नगर में रहता हूं वहां के निवासी लोग मेरा तहे दिल से सम्मान करते हैं और मुझे पूजते हैं परंतु इतना ज्ञान होने के बाद भी मैं  सत्य को खोज ना सका और सत्य खोजने के लिए मैं आप के पास आया हूं मुझे आपकी मदद की आवश्यकता है  ताकी में सत्य का रास्ता  खोज सकूं,

साधु ने विख्यात पंडित से कहा कि मैं तुम्हें ज्ञान देने को तैयार हूं इससे पहले कि तुम ऐसा करो कि तुम्हें जितना भी शास्त्र शिक्षा का ज्ञान है जितना भी तुमने अपनी जिंदगी में सीखा है सबकुछ तुम लिखकर मेरे पास ले कर आओ मैं उन्हें पढ़ूंगा और देख लूंगा,

पढ़ने के बाद जहां मुझे शिक्षा की कमी लगेगी जहां तुम्हें ज्ञान नहीं होगा मैं वहां तुम्हें ज्ञान दे दूंगा,

विख्यात पंडित लौट कर वापस अपने नगर आ जाता है और उसे अपने शास्त्रों का बड़ा ज्ञान था इतना ज्यादा ज्ञान होने के कारण इस विख्यात पंडित को लिखते लिखते तकरीबन 4 साल बीत जाते हैं फिर वह विख्यात पंडित वापस से उस साधू के पास जाता है,

उसका लिखा हुआ हजारो पन्नों का एक बंडल उस के हाथ में होता है साधू विचारा दिन पर दिन बूढ़ा होता जा रहा था वह बंडल देख कर कहता है की बेटा मेरी उम्र तो अधिक हो चली है मैं इतना तो पढ़ नहीं पाऊंगा अच्छा होता कि तुम इसका थोड़ा आधा ही लिख कर ले आते तो  में पढ़ कर तुम्हें कुछ बता देता,

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विख्यात पंडित वापस लौटकर अपने नगर आ जाता है और और अपने पन्ने लिखना शुरु कर देता है लिखते लिखते हैं उसे 6 महीने लग जाते हैं  अब हजारों पन्नों का बंडल कुछ मात्रा में डेढ़ सौ दो सौ पन्नों का रह जाता है,

और पंडित फिर वापस से साधु के पास जाता है और साधु से कहता है गुरुजन मैंने अपना सार लिख लिया है अब आप मुझे कुछ ज्ञान दीजिए साधू ने जैसे ही वह बंडल खोला वह फिर बोले कि बेटा यह तो बहुत ज्यादा पन्ने हैं मेरी आंखें कमजोर हो चली है,

शरीर साथ नहीं दे रहा है मैं इतना कैसे पढ़ पाऊंगा इससे अच्छा होता कि तुम इसे और छोटा कर लाते पंडित वापस अपने नगर लौट आता है वह वापस से लिखना शुरू कर देता है लिखते लिखते उसे 5 दिन बीत जाते हैं ,

और वह सारा ज्ञान महज दो पन्नों में लिखकर गुरूजी के हाथ में दे देता है साधु कहता है कि मैं तुम्हें ही याद कर रहा था तुम देख रहे हो मेरा शरीर साथ छोड़ रहा है मेरा कभी भी अंतिम समय आ सकता है अच्छा होता कि तुम मेरी बातों को तो समझ लेते,

तुम जाओ और इसे और छोटा कर के ले कर आओ तब शायद तुम्हें कुछ समझ आ जाएगा कि मैं तुम्हें क्या सिखाना चाहता हूं साधु की बात सुनकर विख्यात पंडित कुछ समझ ना पाया लेकिन थोड़ी देर बाद ही वह बगल के कक्ष में जाता है,

थोड़ी देर सोचने के बाद उस विख्यात पंडित को समझ में आ जाता है कि गुरु जी उसे क्या सिखाना चाहते हैं और वह तुरंत ही एक कोरे पन्ने की डायरी लेकर गुरूजी के पास पहुंच जाता है

गुरु जी पंडित को देख कर थोड़ा सा मुस्कुराते हैं और कहते हैं कि इन कोरे कागज का मतलब है कि मैं पूरी तरह से कोरा हूं कहने का मतलब पूरी तरह से खाली हो ना अज्ञानी हो कर  ज्ञान को अर्जित करना यही एक शिष्य  की निशानी है,

जो पूर्ण से खाली हो कर  गुरु  के सामने अपने आप को समर्पित कर दें और ज्ञान लेने के समक्ष खड़ा हो जाए अब तुम मेरा ज्ञान लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो शिष्य तो वह होता है जो गुरु के सामने खड़े होने पर वह अपने आप को अज्ञानी समझें यदि शिष्य सर्व ज्ञाता बन जाता है तो उसे गुरु की क्या आवश्यकता पड़ती है,

विख्यात पंडित को गुरुजी ने ज़िंदगी का सत्य ज्ञान दिया और इतनी बात कह कर गुरु जी ने अपने प्राणों को छोड़ दिया, 

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सीख (  Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani )

दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में कभी भी ज्ञान लेना हो तो अपना सर हमेशा झुका कर अपने गुरु के चरणो में रख दो ज्ञान आपको खुद ब खुद मिल जाएगा और ज्ञान लेने के लिए सदा अपने आपको खाली करें,

बोतल में यदि पहले से पानी भरा होगा तो क्या हम उस में और अधिक पानी भर सकते हैं नहीं भर सकते उसी तरह ज्ञान लेने के लिए हमे पहले बोतल  रूपी ( दिमाग )   को खाली करना होगा तभी हम ओर अधिक ज्ञान को उस में भर सकते हैं यही जीवन की एक सच्चाई है,

Moral Stories in Hindi

आपने हमने बचपन में कई सारी नैतिक कहानियां सुनी और पड़ी है  इस कैटेगरी में हम आपको बहुत सारी नैतिक कहानियों से रूबरू कराएंगे जिन्हें पढ़कर आप को अच्छी सीख मिलेगी यह moral stories in hindi ( नैतिक कहानियां ) आप छोटे बच्चों को सुना सकते हैं जिससे बच्चे अच्छी बातें तो सीखेंगे ही साथ में उन्हें शिक्षा भी मिलेगी,

एक विशेष तौर पर देखा जाए तो नैतिक कहानियां ऐसी कहानियां होती है जिनमें नैतिकता के साथ-साथ उनके पीछे जो शक्ति होती है जो पावरफुल मैसेज छुपा होता है वह इंसान को पूरी तरह से बदल कर रख देता है और यह नैतिक कहानियां इंसान को बेहतर इंसान कैसे बनना सिखाती है

नैतिक कहानिया इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है आप को एक बार इसे वापस याद करने की बस जरूरत है  क्या आप वापस तैयार है बच्चे बनने के लिए नैतिक कहानियां पढ़ने के लिए तो आपका बाहें फैला कर स्वागत है हमारे चैनल पर www.ganeshkushwah.comभूलेगा नहीं साला,,,

Conclusion – निष्कर्ष

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह कहानी ज्ञान हमेशा झुककर लो  Gyan Hamesha Jhuk Kar Lo Kahani पसंद आई होगी यदि आपको पसंद आती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करें ताकि वे लोग भी इस आर्टिकल से कुछ शिक्षा ग्रहण कर सकें और अपने जीवन को बदल सके, always bow down to knowledge

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 अपना कीमती समय हमें देने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद 

 

राधे कृष्णा

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