एक राजा और काना घोड़ा की कहानी

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं नमस्कार बंधुओं आज हम लेकर आए  हैं एक राजा और काना घोड़ा की कहानी  Raja Aur Kana Ghoda Ki Kahani  इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आप के साथ सांझा कर रहे हैं राजा और कान्हा घोड़ा की कहानी और यह कहानी बताती है अच्छे संस्कारों का महत्व क्या होता है जानने के लिए पढ़िए पूरा आर्टिकल हमारा , ( King And One Eyed Horse Story In Hindi  ) 

एक राजा और काना घोड़ा की कहानी Raja Aur Kana Ghoda Ki Kahani 

Raja Aur Kana Ghoda Ki Kahani 

एक नगर में एक राजा रहा करता था उसके पास में एक बहुत ही अच्छी तंदुरुस्त और बहुत ही वफादार इमानदार एक घोड़ी थी जिससे राजा बहुत प्रेम करता था उसका ख्याल भी बहुत रखता था घोड़ी से प्रेम करने की राजा की वजह यह थी ,

कि एक बार युद्ध में  इस घोड़ी ने अपनी जान दांव पर लगा कर राजा की जान बचाई थी और अपनी इमानदारी और वफादारी का परिचय दिया था तब से राजा के लिए  यह घोड़ी सबसे ज्यादा प्रिय थी,

 राजा के पास में इस घोड़ी ने कई वर्षों तक काम किया और अपनी वफादारी का ईमानदारी का तोहफा राजा के कदमों में रख दिया जब घोड़ी बूढ़ी हो चुकी थी तब उसने अपनी जगह पर अपनी संतान अपनी औलाद घोड़े को राजा के पास वफादारी और राजा की सेवा करने के लिए रख दिया था,

घोड़ी का पुत्र घोड़ा वह भी काफी अच्छा हटा कट्ठा मजबूत ईमानदार वफादार था पर उसके अंदर एक छोटी सी कमी थी कि वह देखने में थोड़ा कमजोर था यानी कि वह थोड़ा काना था घोड़े की इस बात को लेकर के घोड़ी हमेशा परेशान रहती थी कि अब आगे मेरे बेटे का क्या होगा कैसे वह अपनी जिंदगी को  जिएगा, एक राजा और काना घोड़ा की कहानी

 एक बार पुत्र घोड़े ने अपनी मां घोड़ी से पूछा कि मां में एक आंख लेकर क्यों पैदा हुआ

तब घोड़ी ने कहा कि बेटा जब तुम मेरे पेट में थे तब मैं राजा को लेकर के युद्ध पर जा रही थी पर मेरी अचानक से तबीयत खराब होने लगी तो मैं थोड़ा सा लड़खड़ा रही थी तो उसी वक्त राजा ने एक चाबुक मेरी और फेंका जिस वजह से तुम काने पैदा हुए ,

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मां की बात सुनकर काना घोड़ा  को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने अपने गुस्से का बदला लेने का सोचा और मां से कहा कि मां अब मैं उस राजा को बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाला उसकी वजह से आज मैं यह सब भुगत रहा हूं और मैं एक आंख लेकर पैदा हुआ हूं,

इस राजा की वजह से ना जाने मुझे कितनी जिल्लत तो का सामना करना पड़ा है हर कोई मुझे  चिड़ाता है मां घोड़ी ने अपने पुत्र घोड़े को काफी काफी समझाया और कहा कि नहीं बेटा हमें किसी से कोई बदला नहीं लेना है और वैसे भी राजा तो हमारा अन्नदाता है, 

 गुस्से में आकर राजा ने मुझ पर चाकू चला दिया इसका मतलब यह तो नहीं कि वह हम लोगों से प्यार नहीं करता बेटा तू कभी भी उसके लिए अपने मन में गलत विचार मत लेकर आना इन गलत विचारों को तू  तुरंत निकाल कर फेंक और अपने मन को थोड़ा शांत रखना सीख,  ( एक राजा और काना घोड़ा की कहानी

पर मा के लाख समझाने के बावजूद भी वह कान्हा घोड़ा नहीं माना उसने तो थाम लिया था कि वह राजा से बदला लेकर ही रहेगा और वह उससे बदला लेने की तरकीब ढूंढने लगा बहुत जल्द उसे राजा को मारने का मौका मिल गया,

कुछ दिनों के बाद  पड़ोसी राज्य से राजा को लड़ने का एक प्रस्ताव आता है और राजा युद्ध करने के लिए वहां पर जाता है और दोनों राज्यों के बीच में एक दम घमासान युद्ध होता है राजा ने तलवार बाजी करते हुए और अपने बचाव में भला चलाते हुए अचानक से घोड़े से नीचे गिर जाता है,

मानो राजा की मौत निकट आ चुकी है मौत राजा के सर पर खड़ी थी और काना घोड़ा उसे वहां छोड़कर भाग सकता था पर काना घोड़ा  ने अपनी ईमानदारी और वफादारी का परिचय दिया और राजा की जान को बचाया काना घोड़ा  राजा को अपने पीठ पर बैठाकर तेजी के साथ में दौड़ने लगा वैसे भी काना घोड़ा बहुत ही तेज और फुर्तीला था,

राजा की जान बचा कर काना घोड़ा  भी बहुत चक्कर में पड़ गया और सोचने लगा कि यार मैंने इसकी जान क्यों बचाई और वह अपनी मां के पास गया और उसने अपनी मां से सवाल किया कि मां जिस इंसान ने मुझे काना बनाया है आखिर में मैंने उसकी जान क्यों बचाई ,

मै उसे वहां मरता हुआ देख सकता था पर मैंने ऐसा क्यों नहीं किया आज कितना ही अच्छा मौका था मेरे पास में अपना बदला लेने के लिए पर मां कहती है कि बेटा तुम्हारे अंदर मेरा खून है इसलिए तुमने राजा की जान बचाई क्योंकि हम अपनी ईमानदारी और वफादारी के लिए जाने जाते हैं, ( एक राजा और काना घोड़ा की कहानी ) 

तेरे अंदर मेरे अच्छे संस्कार हैं इसीलिए आज राजा जीवित है  मेरे संस्कारों के विरोध में तू कभी खड़ा हो नहीं सकता क्योंकि तेरी मां ने बरसों राजा के यहां पर अपनी वफादारी और ईमानदारी का तोहफा राजा के कदमों में रखा है इसलिए राजा हम सब से इतना प्रेम करता है वफादारी और ईमानदारी तो हमारे रगों- रगों  में नदी की तरफ बह रही है,

सीख ( Raja Aur Kana Ghoda Ki Kahani   )

अच्छे संस्कार में पला बड़ा बच्चा कभी भी गलत मार्ग पर जा नहीं सकता यदि आपके संस्कार अच्छे हैं तो वह आपके दिए हुए वचनों को जरूर निभाएगा चाहे उसके लिए उसे कितना ही दर्द क्यों न सहना पड़े वह अपने संस्कारों को कभी छोड़ नहीं पाएगा,

दोस्तों संस्कारों का बीज तो घर से ही लगता है जैसे कि मकान बनाते वक्त नींव को मजबूत किया जाता है वैसे ही अपने बच्चों को संस्कार देने के लिए बचपन से ही उसके अंदर संस्कारों की नींव को मजबूत किया जाता है ताकि वह बड़ा होकर सही गलत और अच्छा बुरे के  फर्क को अच्छे से समझ सके और वह संस्कारी बन सके और गलत कर्म करने से बच सकें,

Moral Stories in Hindi 

आपने हमने बचपन में कई सारी नैतिक कहानियां सुनी और पड़ी है  इस कैटेगरी में हम आपको बहुत सारी नैतिक कहानियों से रूबरू कराएंगे जिन्हें पढ़कर आप को अच्छी सीख मिलेगी यह moral stories in hindi ( नैतिक कहानियां ) आप छोटे बच्चों को सुना सकते हैं जिससे बच्चे अच्छी बातें तो सीखेंगे ही साथ में उन्हें शिक्षा भी मिलेगी,

एक विशेष तौर पर देखा जाए तो नैतिक कहानियां ऐसी कहानियां होती है जिनमें नैतिकता के साथ-साथ उनके पीछे जो शक्ति होती है जो पावरफुल मैसेज छुपा होता है वह इंसान को पूरी तरह से बदल कर रख देता है और यह नैतिक कहानियां इंसान को बेहतर इंसान कैसे बनना सिखाती है

नैतिक कहानिया इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है आप को एक बार इसे वापस याद करने की बस जरूरत है  क्या आप वापस तैयार है बच्चे बनने के लिए नैतिक कहानियां पढ़ने के लिए तो आपका बाहें फैला कर स्वागत है हमारे चैनल पर www.ganeshkushwah.com भूलेगा नहीं साला,,,

Conclusion – निष्कर्ष

 दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह कहानी  एक राजा और काना घोड़ा की कहानी  जरूर पसंद आई होगी यदि आपको हमारी यह कहानी पसंद आती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे लोग भी इस कहानी से कुछ शिक्षा ग्रहण कर सके और अपनी जिंदगी को बदलने के लिए एक मौका जरूर दें 

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अपना कीमती समय हमें देने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद 

 

राधे कृष्णा

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