एक घमंडी राजा की कहानी | Ghamandi Raja Ki Kahani

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं नमस्कार बंधुओं आज इस आर्टिकल  मैं हम आपके साथ सांझा कर रहे हैं एक घमंडी राजा की कहानी  The Arrogant King Story In Hindi, इस राजा के पास तो वैसे सब कुछ था पर समझ थोड़ी सी कम थी इस राजा का घमंड एक साधु ने इस तरह से तोड़ा कि राजा दोबारा  अपनीनजरों में उठ ना पाया जानने के लिए पढ़िए पूरा आर्टिकल हमारा घमंडी राजा की कहानी ( Ghamandi Raja Ki Kahani

एक घमंडी राजा की कहानी Ghamandi Raja Ki Kahani  

एक घमंडी राजा की कहानी Ghamandi Raja Ki Kahani

उदयगढ़ नाम के एक छोटे से गांव में एक राजा रहा करता था इस गांव में राजा का ही राज चलता था राजा की अनुमति के बिना यहां पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता था राजा वैसे स्वभाव से काफी कठिन और घमंडी टाइप का इंसान था, 

राजा को मिली विरासत में संपत्ति पर बहुत घमंड था और राजा जिस महल में रहता था वो वह महल बहुत ही खूबसूरत कारीगरी से उस को बनाया गया था उस महल में टंगी महंगी महंगी तस्वीरें उस महल में चार चांद लगा देती थी और उसे देखने पर मजबूर कर देती थी ,

 आसपास के इलाकों में दूर-दूर तक जितने भी राजाए थे उनके पास भी इतना खूबसूरत आलीशान महल नहीं था जो सिर्फ इस राजा के पास था राजा से जो मिलने आता  वह बिना महल की तारीफ करें बिना रह नहीं पाता राजा को अपने महल पर काफ़ी गुरूर था,

जब भी कोई उस राजा के महल की तारीफ करता तो राजा खुशी के मारे फूला ना शमाता उसे सिर्फ अपने महल की और अपनी तारीफ करना बड़प्पन सुनना काफी पसंद था यदि कोई भी व्यक्ति उसकी और उसके महल की तारीफ नहीं करता तो उसे तुरंत बुरा लग जाता,

एक बार राजा के दरबार में एक साधु चला आता है और वह राजा से मिलता है राजा ने सारा शास्त्र ज्ञान साधु से लेने के बाद राजा ने साधु से कहा कि हे महाराज यदि आप बुरा ना माने तो हम एक बात कहें, 

साधु ने कहा कहो राजा राजा ने कहा महाराज यदि आप आज आज की रात हमारे महल में बिताते तो हमारे महल में चार चांद लग जाते हैं और हमें आप की सेवा करने का यह मौका मिल जाता साधु कुछ सोचने लगता है फिर साधु राजा से कहता है कि मैं अवश्य इस धर्मशाला में रुकूंगा,  

Read also > एक बूढ़ा शिकारी कुत्ता की कहानी

साधु की बात सुनकर राजा क्रोधित हो जाता है उसे बुरा लगता है कि इस साधू ने मेरे इतने आलिशान खूबसूरत महल को एक धर्मशाला कह दिया राजा के घमंड को ठेस पहुंच जाती है वह साधु से कहता है कि महाराज आप मेरे महल को धर्मशाला कैसे कह सकते हैं,

यह कितना ही खूबसूरत है आस-पास दूर-दूर तक किसी भी राजाओं के पास में ऐसा आलीशान खूबसूरत महल नहीं होगा यह सिर्फ और सिर्फ मेरे पास है आपका सौभाग्य होता यदि आप इस महल में रुकते तो वरना दर-दर भटकने वाले साधुओं  को टूटी फूटी कोठरी भी नसीब नहीं होती ,

आपने मेरे महल को धर्मशाला कहकर अपमान किया है आप तुरंत अपने वचन वापस लीजिए वरना आपके लिए अच्छा नहीं होगा मैं तो आप की सेवा करने के लिए आपको यहां पर रुकने के लिए कह रहा था, 

साधू थोड़ा सा मुस्कुराया और कहने लगा कि है राजा मैंने तो सिर्फ तुम्हें सत्य का एक आईना दिखाया है और जो सत्य है वह सत्य है मैं अपने वचन कैसे वापस ले सकता हूं क्योंकि मेरी नजर में तो यह सिर्फ एक धर्म शाला ही है,  

साधु की बात सुनकर राजा और क्रोधित हो जाता है और साधु से कहता है कि यदि आपको लगता है कि यह धर्मशाला है तो आप इसे सिद्ध कर के दिखाओ,

साधु कहता है ठीक है चलो तुम मेरे एक प्रश्न का जवाब दो राजा कहता है पूछिए महाराज,

 साधु कहता है कि आप से पहले यह महल किसका था तो राजा कहता है मेरे पिता श्री का 

 साधु कहता है उनसे पहले यह महल किसका था मेरे पिताजी के पिताजी का मतलब कि मेरे दादाजी का राजा ने जवाब दिया,

 फिर साधु ने कहा कि उससे पहले यह महल किसका था मेरे पिता श्री के पिता श्री यानी कि मेरे दादा जी के पिता जी का यह महल था और इस महल का इतिहास बहुत पुराना है गुरुदेव आपको मैं कैसे बताऊं,

साधु ने राजा से कहा कि सुनो राजा यह महल तब भी धर्मशाला के रूप में ही पूजा जाता था जब आपके पिताजी के पिताजी रहते थे और आपके पिताजी  के जाने के बाद यह राज्य पाठ यह सब कुछ आपको सौंपा गया है, 

आपका इस धर्मशाला पर इतना घमंड करना आपको शोभा नहीं देता आप इस धर्मशाला पर इतना घमंड क्यों करते हो एक न एक दिन तो इसे छोड़कर आपको भी जाना ही होगा जैसे एक शरीर से आत्मा को एक ना एक दिन इस शरीर को छोड़ कर परमात्मा के पास जाना होगा,

साधु की बात सुनकर राजा की आंखें भर आई और राजा ने हाथ जोड़कर साधू से कहा है गुरुदेव आज आपने मुझे यह सत्य का आइना दिखा कर मेरी आंखें खोल दी मैं इस लोभ में पढ़ा हुआ था और इस पर अहंकार कर रहा था मेरा अहंकार चकनाचूर कर दिया आपने ,

जाने अनजाने में मैंने आपका जो भी अपमान किया है उसके लिए मुझे क्षमा कर दीजिए गुरुदेव साधु ने राजा को आशीर्वाद दिया और राजा को माफ कर दिया और उस दिन साधु उस महल यानी कि धर्मशाला में रात को रुके और सुबह भोर होते ही चुपचाप वहां से  चले गए, 

सीख ( Moral Of एक घमंडी राजा की कहानी Ghamandi Raja Ki Kahani  )

वो कहते हैं ना क्या लेकर आया था और क्या लेकर जाएगा खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही चला जाएगा दुनिया में हर व्यक्ति जब भी इंसानी रूप आता है तो वह खाली हाथी आता है और खाली हाथ ही वापिस चला जाता है, 

यदि आपको कुछ लेकर जाना है तो आप को अपने अच्छे कर्म करने होंगे और यही अच्छे कर्म आपके साथ ऊपर जाएंगे इसलिए दोस्तों अच्छे कर्म करते चलिए और अच्छे इंसानियत होने का एहसास अपने आसपास के लोगों को बताइए ताकि आपके जाने के बाद भी वे लोग आपको याद करें, 

 

” Moral Stories in Hindi ” 

आपने हमने बचपन में कई सारी नैतिक कहानियां सुनी और पड़ी है  इस कैटेगरी में हम आपको बहुत सारी नैतिक कहानियों से रूबरू कराएंगे जिन्हें पढ़कर आप को अच्छी सीख मिलेगी यह moral stories in hindi ( नैतिक कहानियां ) आप छोटे बच्चों को सुना सकते हैं जिससे बच्चे अच्छी बातें तो सीखेंगे ही साथ में उन्हें शिक्षा भी मिलेगी,

एक विशेष तौर पर देखा जाए तो नैतिक कहानियां ऐसी कहानियां होती है जिनमें नैतिकता के साथ-साथ उनके पीछे जो शक्ति होती है जो पावरफुल मैसेज छुपा होता है वह इंसान को पूरी तरह से बदल कर रख देता है और यह नैतिक कहानियां इंसान को बेहतर इंसान कैसे बनना सिखाती है,

नैतिक कहानिया इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है आप को एक बार इसे वापस याद करने की बस जरूरत है  क्या आप वापस तैयार है बच्चे बनने के लिए नैतिक कहानियां पढ़ने के लिए तो आपका बाहें फैला कर स्वागत है हमारे चैनल पर www.ganeshkushwah.com भूलेगा नहीं साला,,,

 

Conclusionनिष्कर्ष

 दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह कहानी  जरूर पसंद आई होगी यदि आपको यह कहानी पसंद आती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर सांझा करें ताकि वे लोग भी इस कहानी से कुछ शिक्षा ग्रहण कर सकें और अपने जीवन को बदलने का प्रयत्न कर सकें( The Arrogant King Story In Hindi

ऐसी ही नई-नई प्रेरणादायक मोरल स्टोरी नैतिक शिक्षा का ज्ञान बटोरने के लिए हमारे वेबसाइट www.ganeshkushwah.com  को सब्सक्राइब करना ना भूले ताकि आपको हमारे नए नए इंस्पायर मोरल स्टोरी की नोटिफिकेशन आप लोगो को  समय समय पर मिलती रहे और आप उसका भरपूर लाभ उठाएं 

 

अपना कीमती समय हमें देने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद 

 

राधे कृष्णा

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Name
NATIVE ASYNC

about me which are enough for you to know about me, I like to write and I write part time as I get time, yet my article is published everyday

Leave a Comment