श्री शिवाय नमस्तुभयम नमस्कार बंधुओं आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके लिए लाए हैं एक छोटी सी नन्ही परी की कहानी Nanhi Pari Ki Kahani जो की बहुत ही खूबसूरत कहानी है हम आशा करते हैं कि आप को यह छोटी सी नन्ही कहानी जरूर पसंद आएगी बने रहिए हमारे साथ और पढ़िए पुरा आर्टिकल हमारा,
नन्ही परी की कहानी Nanhi Pari Ki Kahani
एक सुंदरपुर नाम का गांव था जहां पर एक गरीब और हालत से बेहाल औरत रहा करती थी उस की 4 बेटियां थी जो सबसे छोटी बेटी थी उसका नाम नन्ही परी था चारों बेटियां अपनी मां से नई नई चीजों के लिए खूब लड़ा करती थी और उन चारों की हर रोज कुछ ना कुछ डिमांड रहा करती थी,
जैसे कि उन्हें मार्केट में कचोरी खानी है समोसा खाना है खाना है पिज़्ज़ा खाना है बर्गर खाना है जो भी वह कुछ मार्केट में नया देखती वह अपनी मां से मांगने लगती पर मां कहां से लाकर के देती क्योंकि वह तो बेचारी दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से जुटाकर अपने चार बच्चों का पेट भर रही होती है
वह गरीब औरत हर साल अपने बच्चों के लिए बसंत के महीनों मैं उन खरीदकर एक फ्रॉक बनाती और उसे सबसे बड़ी बेटी इच्छापरी को दे देती जब इच्छा परी की पुरी इच्छा खत्म हो जाती है उस ड्रेस को पहनने की तो वह ड्रेस उसकी छोटी बहन शिक्षा परी को दे देती फिर शिक्षापरी उस फ्रॉक को पहन कर अपनी तीसरी बहन कीमती परी को दे देती है ,
जब कीमती परी की इच्छा पूरी हो जाती है उस ड्रेस को पहनने की तो वह ड्रेस सबसे छोटी बहन नन्ही परी को मिल जाती और नन्ही परी उस ड्रेस को पहनकर बड़ी खुश होती इस तरह से वह गरीब महिला अपने बच्चों का भरण पोषण कर रही थी और उनकी ख्वाहिशें पूरी कर रही थी,
चारों बहनों की आपस में खूब बनती थी और आपस में ही खेला करती थी 1 दिन विचारों बहने जंगल में खेलने के लिए चली गई खेलते खेलते उन्हें वक्त का पता ही नहीं चला और सुबह से शाम हो गई सबसे बड़ी बहन ने कहा कि अब हमें घर चलना चाहिए काफी अंधेरा हो चुका है,
फूल तोड़ते हुए नन्ही परी को काफी वक्त लग गया और वो तीनो घर पहुंच गई और नन्ही परी जंगल में अकेली रह गई नन्ही परी को अब डर सता रहा था उसे घबराहट हो रही थी और वह अपनी तीनों बहनों को ढूंढ रही थी पर उसे जंगल से बाहर जाने का रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था,
नन्ही परी अपनी बहनों को ढूंढने के लिए पूरे जंगल के चक्कर लगा रही थी खूब जोर जोर से अपनी बहनों का आवाज दे रही थी वह फिर भी अपनी बहनों को ढूंढ ना पाई फिर अचानक से नन्ही परी की ड्रेस एक कांटे वाले पेड़ में अटक जाती है और उसकी ड्रेस फट जाती है,
जिससे नन्ही परी को रोना आता है और वह मन ही मन सोचती है कि अब तो मुझे नई ड्रेस अगले साल तक ही मिलेगी बीच में मुझे कुछ भी नहीं मिलेगा और घर जाऊंगी तो मां और बहने सब मुझ पर चिल्ला आएंगी और मुझे मारेंगे भी वह खूब जोर जोर से रोना शुरु कर देती है,
एक गाय का बछड़ा वहां से जा रहा था उसने देखा की एक बच्ची खूब जोर जोर से रो रही है जब वह बच्ची के पास आया तो उसने पूछा कि बेटा तुम क्यों रो रही हो तो उस नन्ही परी ने कहा कि मैंने अपनी नई ड्रेस को फाड़ लिया अब मैं घर कैसे जाऊंगी क्योंकि अब मुझे नई ड्रेस तो अगले साल ही मिलेगी ना और मैं अब घर पर क्या जवाब दूंगी मुझे तो डर लग रहा है,
उस बछड़े ने कहा कि कोई बात नहीं बेटा मैं तुम्हें कुछ उन दे सकता हूं जिसकी मदद से तुम फिर से अपनी नई ड्रेस बनवा सकती हो बछड़े की बात सुनकर नन्ही परी खुश हो जाती है और बछड़ा उसे उन दे देता है और वहां से चला जाता है,
नन्ही परी अपने घर की ओर निकलती है तो उसे रास्ते में बबूल का पेड़ मिलता है और बबूल का पेड़ नन्ही परी से पूछता है कि तुम्हारे हाथ में क्या है तो नन्ही परी कहती है कि मुझे बछड़े ने उन दिया है जिसकी में एक नई ड्रेस बनाऊंगी तो बबूल का पेड़ कहता है,
यह उन मुझे दे दो इसे मैं कंघी कर देता हूं तभी तुम्हारी नई ड्रेस बनेगी और नन्ही परी उन को बबूल के पेड़ को दे देती है तो बबूल का पेड़ अपने काँटों की मदद से उसे कंघी करके नन्ही परी को वापस दे देता है नन्ही परी फिर अपने घर के लिए आगे बढ़ती है,
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तो उसे रास्ते में फिर मकड़ा नज़र आता है तो मकड़ा नन्ही परी से फिर पुछता है कि यह तुम्हारे हाथ में क्या है तो वह कहती है कि मुझे बछड़े ने उन दिया है अपनी नई ड्रेस बनाने के लिए तो मैंने बबूल के पेड़ को उसे कंघी करने के लिए दिया तो बबूल के पेड़ ने अपने कांटों से उन को सीधा करके मुझे दे दिया अब मैं घर जा रही हूं, ( Nanhi Pari Ki Kahani )
तो मकड़ा कहता है कि यह उन मुझे दो मुझे इसे धागा बनाना पड़ेगा तभी तो तुम्हारा ड्रेस नया बन पाएगा और नन्ही परी उस उन को मकड़े को दे देती है और मकड़ा उस का धागा बना करके वापस नन्ही परी को दे देता है, नन्ही परी अपने घर की ओर निकल पड़ती है,
नन्ही परी को रास्ते में एक पिशाच-एक नाम का जानवर पेड़ पर लटकता हुआ मिलता है तो नन्ही परी को देखकर कहता है कि तुम कहां जा रही हो और तुम्हारे हाथ में क्या है तो नन्ही परी कहती है कि मैं घर जा रही हूं और मेरे हाथ में यह उन है जो मुझे एक बछड़े ने दिया है जिसकी मैं एक नई ड्रेस बनाऊंगी,
मैंने पहले इसे बबूल के पेड़ को दिया तो उसने अपने कांटो से इसे सीधा कर दिया फिर मैंने इसे मकड़े को दिया तो मकड़े ने उन का धागा बनाकर के मुझे दे दिया और अब मैं घर जा रही हूं,
उस जानवर ने नन्ही परी से कहा कि इस उन को मुझे दो मैं इसका तुम्हें कपड़ा बना करके देता हूं नन्ही परी ने उस उन को उस पिशाच-एक को दिया फिर उस जानवर ने उस उन का कपड़ा बना करके नन्ही परी को दे दिया और कहा कि अब तुम इसकी ड्रेस बनवा लेना और नन्ही परी वापस अपने घर की ओर निकलती है,
आगे बढ़ते ही कुछ दूरी पर नन्हीं परी को एक चूहा दिखाई देता है और वह नन्ही परी से पूछता है कि तुम्हारे हाथ में क्या है तो नन्ही परी कहती है मेरे हाथ में उन है जो मुझे एक बछड़े ने दिया है नई ड्रेस बनाने के लिए तो मैंने सबसे पहले इसे बबूल को दिया तो बबूल के पेड़ ने अपने कांटों से इसे सीधा करके मुझे दे दिया,
इसके बाद मैंने इसे एक मकड़े को दिया तो मकड़े ने इसका धागा बना करके मुझे दे दिया उसके बाद मैंने इसे एक पिशाच-एक नाम के जानवर को दिया तो उसने मुझे इस धागे का कपड़ा बना करके दे दिया अब मैं अपने घर जा रही हूं,
तब चूहा कहता है कि इस कपड़े को मुझे दे दो क्योंकि तुम्हारी ड्रेस बनाने के लिए इसकी कटिंग भी करनी जरूरी है लाओ मैं अपने तीखे दांतो से इसकी कटिंग करके तुम्हें दे देता हूं और चूहा अपने दांतो से उस कपड़े की कटिंग करके वापस नन्ही परी को दे देता है नन्ही परी अब अपने घर के लिए निकल जाती है ,
आगे बढ़ते ही नन्ही परी को एक बर्ड दिखाई देता है जो नन्ही परी से पूछता है कि तुम्हारे हाथ में क्या है तो नन्ही परी कहती है कि मुझे एक बछड़े ने उन दिया था नई ड्रेस बनाने के लिए तो सबसे पहले मैंने बबूल के पेड़ को उस उन को दिया तो बबूल के पेड़ ने उसे अपने कांटों से सीधा करके मुझे दे दिया,
उसके बाद मैंने उस उन को मकड़े को दिया तो मकड़े ने उस का धागा बना करके मुझे दे दिया उसके बाद मैंने एक पिशाच-एक के जानवर को उन दिया तो उसने मुझे कपड़ा बनाकर के दे दिया फिर उसके बाद मैंने उस कपड़े को एक चूहे को दीया तो उसने अपने दांतो से कपड़ा काट कर के मुझे दे दिया और अब मैं घर जा रही हूं,
उस बर्ड ने नन्ही परी से कहा कि तुम इस कपड़े को मुझे देदो मैं अपनी चोच से इस की सिलाई कर के एक बहुत ही खूबसूरत ड्रेस बना कर के तुम्हें देता हूं नन्ही परी ने वह कपड़ा उस बर्ड को दे दिया कुछ ही देर बाद उस बर्ड ने अपनी चोच के सहारे उस कपड़े का एक बहुत सुंदर सा ड्रेस बनाकर के नन्ही परी को दे दिया,
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नन्ही परी उस सुंदर ड्रेस को देखकर बहुत खुश हुई और उसने उस ड्रेस को पहना और फिर गाने गुनगुनाती हुई हंसती खेलती चुपचाप अपने घर की ओर चली जब वह घर पहुंची तो उसे देख कर सब बहुत खुश हुए उसकी मां ने उसे डांट तो लगाई पर उसे सीने से भी लगाया और उसकी ड्रेस देख कर सब बहुत खुश हुए, ( Nanhi Pari Ki Kahani )
सिख ( नन्ही परी की कहानी )
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हर किसी में किसी ना किसी काम को करने की खासियत छुपी होती है हम सभी को एक दूसरे की मदद करते रहना चाहिए तभी हम आगे बढ़ेंगे और लाइफ में एक दूसरे की मदद करते रहना चाहिए
Conclusion – निष्कर्ष
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राधे कृष्णा