श्री शिवाय नमस्तुभ्यं नमस्कार बंधुओं आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके लिए लाए हैं साधु और राजा की कहानी एक बहुत ही शानदार कहानी Sadhu Aur Raja Ki Kahani साधु और राजा की कहानी और हम आशा करते हैं कि आपको यह कहानी पसंद आएगी बने रहिए हमारे साथ पढ़िए पूरा आर्टिकल हमारा ( Monk And King Story In Hindi, )
साधु और राजा की कहानी Sadhu Aur Raja Ki Kahani
एक दिव्य नगर नाम का एक छोटा सा गांव था जहां पर एक करुणा में दया का सागर दयालु सब पर रहम बरसाने वाला सब की प्यास बुझाने वाला सब पर कृपा करने वाला एक महान राजा रहता था वह अपनी प्रजा के लिए हमेशा तत्पर खड़ा रहता था,
वह बस इतना ही चाहता था की उस के राज में कोई भी व्यक्ति बुरी परिस्थिती से ना गुजरे सभी लोग अपना जीवन खुशी-खुशी बिताएं और सब मिलजुलकर आपस में रहे वह सब पर अपनी कृपा बरसाता था सबकी मदद करता था,
वह सबका हितेषी भी था और इसी वजह से पूरे गांव वाले उसे पसंद करते थे और पुरे ठाठ से वह उस गांव में राज करता था उस के राज में सारी प्रजा बहुत प्रसन्न और आनंद में जीवन जी रहे थे,
राजा के मन में एक ख्याल आया कि क्यों ना मैं एक दिन के लिए अपना रूप बदलकर अपनी प्रजा के बीच में अपना दिन बिताओ ताकि मुझे पता चल सके कि मेरी प्रजा कैसे अपना जीवन जी रही है,
उनकी जिंदगी में कोई कष्ट दुख तकलीफ कोई परेशानी तो नहीं आई जो मुझे बताने से घबरा रहे हैं या खुलकर मुझे बता नहीं पा रहे हैं अगर मेरे रहते किसी को कोई तकलीफ आती है तो मैं उन की समस्या को अपनी समस्या समझकर उसे दूर करने की कोशिश करूंगा,
और राजा सुबह होते ही अपना रूप बदल कर गांव की ओर निकल पड़ते हैं अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए ताकि राजा अपने अच्छे राजे होने का प्रमाण अपनी प्रजा को दे सके,
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अगले ही दिन राजा फिर से अपना रूप बदल कर गांव में भ्रमण करने के लिए निकले और वह चलते-चलते एक जंगल की और पहुंचे और जंगल में जाकर वह अपना रास्ता भूल जाते हैं और उनके सैनिक उनसे बिछड़ जाते हैं राजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था,
कि अब मैं क्या करूं और राजा को भूख भी लग रही थी तो राजा आगे बढ़ा और उसे एक नदी किनारे एक छोटी सी कुटिया दिखाई दी उस कुटिया की ओर देख कर राजा बोला कि जरूर इसमें कोई रहता होगा और शायद मुझे खाना मिल जाए वह अपने घोड़े को पेड़ के नीचे बांध देता है ,
तब राजा आगे बढ़ता है तो उसकी नजर आसपास के माहौल पर पड़ती है उसे अच्छे अच्छे फूल दिखाई देते हैं हरियाली दिखाई देती है पेड़ पौधे पक्षियों की आवाजें उसे सुनाई देती है कुछ जानवर दिखाई देते साफ-सुथरा नदी का पानी दिखाई देता है राजा बड़ा प्रसन्न होता है और साधु के पास जाता है और उनके चरणों में जा कर नमन करता है,
साधु आहट सुनकर किसी के आने का अहसास होता है और साधू की योग अवस्था टूट जाती है साधु की निगाह जब राजा पर पड़ी तो उन्होंने देख कर ही उसे पहचान लिया कि यह पक्का कोई राज घराने से है क्यों कि राजा के चेहरे पर उसका तेज़ ही इतना था ,
राजा ने साधु से कहा कि गुरु जी मैं अपना रास्ता भटक चुका हूं और अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब मैं कैसे जाऊं और मुझे जोरों की भूख भी लग रही है क्या आप मुझे खाने के लिए कुछ दे सकते हैं तब साधु ने राजा को अपनी कुटिया में ले जाकर कुछ फल दिए जो काफी मीठे और स्वादिष्ट थे,
राजा ने उन फलों को बड़े प्यार से खाया और उससे रहा नहीं गया गुरु जी से पूछे बिना कि गुरु जी यह फल इतने मीठे और स्वादिष्ट कैसे हैं मैंने आज तक इतने मीठे और स्वादिष्ट फल नहीं चखे हैं क्या आप मुझे बताने का कष्ट करेंगे कि इतने मीठे और स्वादिष्ट कैसे हैं ,
तब गुरु जी ने कहा कि जिस राज्य का राजा इतना दयालु करुणा में सबकी मदद करने वाला हो तो उस राज्य के फल खट्टे कैसे हो सकते हैं यह फल तब तक मीठे रहेंगे जब तक राजा अपनी प्रजा का हितेषी बना रहेगा उन की मदद करता रहेगा,
राजा को साधू की यह बात थोड़ी सी अजीब लगी सुनने में उसने सोचा कि गुरु जी की यह बात का तो मैं पता लगा कर ही रहूंगा कि उन्होंने ऐसा मुझ से क्यों कहा राजा ने फिर गुरुजी से आज्ञा ली और अपने राज्य की ओर चल निकला ,
जैसे ही वह जंगल पहुंचा तो उसके जो बिछड़े हुए सैनिक थे वह भी उसे ढूंढते हुए वहां मिल गए और वह उन सैनिकों के साथ में अपने राज्य वापस आ जाता है और राजा अपने कक्ष में होता है तब उसे साधू की वही सब बातें याद आती है बातें उसे परेशान करती है,
अगले ही दिन से राजा ने अपनी प्रजा के ऊपर जुल्म ढा ने शुरू कर दिए वह कई कई तरह की लगान उनसे वसूल ता कई तरह के और कर उनसे लूटता उन्हें परेशान करता राजा पूरी तरह से अपनी प्रजा के लिए बुरा बन चुका था जितना वह अपने आपको अपनी नजरो मैं गिरा सकता था उस हद तक उसने अपने आपको गिरा लिया था,
राजा के पास जितना भी धन दौलत था जितना भी पैसा था वह सब कुछ बर्बाद करने लगा वह अयासियां करता शौक करता और सारा पैसा पानी की तरह बहाने लगा था उसे प्रजा का बिल्कुल भी कोई ख्याल नहीं था कि प्रजा कैसी है उसके बारे में क्या सोच रही है राजा अब पूरी तरह से बदल चुका था क्योंकि उसके मन में कुछ सवाल उठ रहे थे जिनके जवाब उसे जानने थे,
कुछ दिनों के बाद राजा वापस उस जंगल में जाता है और नदी किनारे उसी कुटिया में पहुंचता है तो वहां जाकर देखता है वहां का माहौल पहले की तरह पूरा अब बदल चुका था वहां पर कोई हरियाली नहीं थी नदी का पानी भी सूख रहा था और उसमें गंदगी आ रही थी और और न कोई पक्षी न जानवर उसे नजर नहीं आ रहे थे ना उसे कोई फूल खिले हुए दिख रहे थे ,
राजा वही पेड़ के नीचे बैठे साधु के पास जाता है और उन्हें नमन करता है और गुरुजी से कहता है कि गुरु जी मुझे कुछ फल दीजिए खाने के लिए गुरुजी उसे फल देते हैं जब राजा उन फलों को खाता है तो उसमें से उसे ना कोई मिठास दिखती है ना कोई फल पहले की तरह उसे स्वादिष्ट नजर आते हैं,
राजा ने साधु से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है यह पहले की तरह मिठास और स्वादिष्ट क्यों नहीं लग रहे तब साधु कहता है कि अब इस राज्य का राजा पूरी तरह से बदल चुका है अब वह अपने प्रजा का हितेषी नहीं रहा वह अपनी प्रजा का ही दुश्मन बन चुका है उसे प्रजा से कोई मतलब नहीं रहा,
वह एक बुरा इंसान बन गया है अब तुम्हें इन फलों में कोई स्वाद और ना ही यह फल तुम्हें मीठे लग रहे हैं क्योंकि अब तुम्हारे मन मैं कड़वाहट भर चुकी है अपनी प्रजा को लेकर इसलिए तुम्हें अब सारे फल कड़वे नजर आ रहे हैं,
राजा वापस अपने राज्य में आ जाता है उसे अपनी गलतियों का एहसास होता है और वह फूट फूट फूट कर रोने लगता है फिर उसे गुरुजी की बात समझ में आ जाती है और वह खुद को बदलने के लिए तैयार हो जाता है और अगले ही दिन वह राजा वापस से अपनी प्रजा का पूरा ध्यान रखने लग जाता है और प्रजा से हाथ जोड़कर माफ़ी भी मांगता हैं ,
और प्रजा के लिए एक सम्मान जनित तोहार का आयोजन रखता है पूरा गांव खुशियों के माहौल में बदल जाता है जैसे कि मानो गांव में मेला लग गया हो राजा की बदलते ही प्रकृति भी अपना रंग बदलती है सब कुछ पहले की तरह हो जाता है और प्रजा के लिए राजा वापस से हितेषी बन जाता है और सब लोग राजा के लिए नारे लगाने शुरू कर देते हैं ,
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सीख (Sadhu Aur Raja Ki Kahani Seekh)
वो कहते हैं ना कि आपके कर्म ही आपकी पूजा है किसी ने क्या खूब लाइन लिखी है कि जैसे कर्म करोगे वैसे ही फल पाओगे यदि आप गेहूं के बीज दोगे तो गेहूं ही काटने को मिलेंगे अगर कांटे दोगे तो कांटे ही काटने को मिलेंगे
इसलिए अच्छे कर्म करते जाओ और लोगों की मदद करते जाओ जैसा आप आज करोगे वैसा ही आपको कल आपके लिए मिलने वाला है इसलिए अपने मन में सभी के लिए प्रेम लेकर के आएं कड़वाहट को दूर दरवाजे पर ही छोड़कर आएं,
Conclusion – निष्कर्ष
दोस्तों हम आपसे आशा करते हैं कि आपको हमारी यह कहानी साधु और राजा की कहानी जरूर पसंद आई होगी यदि आपको हमारी यह कहानी Raja Aur Sadhu Story In Hindi पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वह लोग भी अपने जीवन को बदलने का प्रयत्न कर पाए और लोगों का जीवन बदल पाना ही हमारा कर्तव्य है और यही हमारा धर्म है एक दूसरे की मदद करना ही हमारा कर्म है,
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अपना कीमती समय हमें देने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद
राधे कृष्णा
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