श्री शिवाय नमस्तुभ्यं नमस्कार मित्रों आज इस आर्टिकल में हम आपके सामने एक जादुई चक्की की कहानी Jadui Chakki Ki Kahani आप के साथ शेयर करने जा रहे हैं यह काफी पुरानी कहानी हैं और बहुत ही ज्यादा प्रेरणादायक और लोकप्रिय कहानी भी है इसे कितने ही लोगों ने गूगल के माध्यम से सर्च किया है हम आशा करते हैं कि आपको यह कहानी जरूर पसंद आएगी
एक जादुई चक्की की कहानी Jadui Chakki Ki Kahani
भावनगर गांव में दो भाई रहा करते थे एक का नाम रोहन था जो बड़ा भाई था और एक का नाम सोहन था जो छोटा भाई था बड़ा भाई रोहन बड़ा ही लालची और दुष्ट घमंडी मतलबी टाइप का और बहुत ही बुरा इंसान था,
और सोहन वही बहुत ही सीधा साधा भोला भाला मासूम सा इंसान था पिताजी की मृत्यु के बाद बड़े भाई रोहन ने पूरी संपत्ति खेत खलियान सब कुछ हड़प लिया और छोटे भाई सोहन को कुछ भी नहीं दिया और उसे बल्कि लात मार के घर से निकाल दिया,
पिता जी की जमीन हड़प कर रोहन बढ़े ही सुख शांति से और बड़े ठाट से रहने लगा उसे अपनी संपत्ति पर बहुत घमंड होने लगा था यहां तक कि उसके सामने कोई भी रिश्तो का मोल नहीं था और नाही उसके लिए वह कोई रिश्ते मायने रखते थे वह पैसे के लालच में इतना अंधा हो चुका था, ( जादुई चक्की की कहानी )
और वहीं दूसरी ओर सोहन और उसका परिवार गरीबी की हालात से गुजर रहा था उनके हालत इतने बुरे थे कि उनके पास खाना खाने तक के लिए कोई साधन नहीं था वह दो वक्त का खाना कैसे-कैसे जुगाड़ रहे थे वही जान रहे थे और अपनी जिंदगी से लड़ रहे थे,
अपनी गरीबी से बड़ा परेशान सोहन बढ़ा ही दुखी और बढ़ी ही चिंतन में रहने लगा और उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें की उसके हालत सही हो जाएं,
कुछ दिनों के बाद दिवाली का त्यौहार आने वाला था पर सोहन बढ़ा ही चिंतित था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह बच्चों को कैसे खुश रखें और पत्नी को क्या ला करके दे और वहीं दूसरी और रोहन बड़ी धूमधाम से अपने घर को सजा रहा था पैसा पानी की तरह बहा रहा था,
वह अपने बच्चों के लिए नए नए कपड़े नए नए मिठाईयां फटाके और पूरे घर को उसने रोशन कर दिया था इतना पैसा वह अपनी खुशियों पर लुटा रहा था वह अपने छोटे भाई को देख तक नहीं रहा था ऐसा व्यवहार कर रहा था कि मानो वह अपने छोटे भाई को पहचानता तक नहीं था ,
सोहन की हालत देख कर सोहन की पत्नी ने सोहन से कहा कि अजी सुनते हो क्यों ना आप अपने बड़े भाई से मदद ले लो वह तुम्हारी मदद जरुर करेंगे तुम उनसे एक बार कहो तो सही कह कर तो देखो सोहन ने लाख समझाने की कोशिश की पत्नी को कि वह मेरे बड़े भाई हैं,
मैं उन्हें अच्छे से जानता हूं वह मेरी बिल्कुल भी मदद नहीं करेंगे उनका स्वभाव पूरी तरह से मेरे लिए बदल चुका है पैसो के मोह माया ने उन्हें इतना अंधा कर दिया है कि उन्हें पैसों के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता वह क्या ही मेरी मदद करेंगे बल्कि वो तो ठीक तरह से मुझसे बात तक नहीं करेंगे,
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फिर भी पत्नी के बार बार दबाव बनाने के बाद आखिरकार सोहन मन मार कर अपने बड़े भाई के पास मदद के लिए जाता है जैसे ही वह घर पहुंचता है उसका बड़ा भाई रोहन उसे देखकर समझ जाता है कि यह बड़ा परेशान है इसलिए यहाँ आया हैं,
और कहता है कि तुम यहां पर पैसे मांगने आए हो ना मुझे पता है अगर तुम मुझसे पैसे मांगने आए हो तो तुम अभी चुपचाप घर से निकल जाओ मेरे पास कोई पैसे नहीं है तुम्हें देने के लिए दुत्कार कर रोहन ने अपने छोटे भाई को घर से निकलने के लिए कह देता है उदास होकर और अपनी गर्दन लटकाकर सोहन चुपचाप अपने घर वापस चला आया,
पत्नी के पूछने पर सोहन ने जवाब दिया कि मैंने तुम्हें कहा था ना कि बड़े भैया कोई मदद नहीं करेंगे फिर भी तुमने जिंद की करा आया ना मैं अपनी बेज्जती क्यों मेरी गरीबी का मजाक उड़ा रही हो तुम भी मैं कुछ ना कुछ अपनी समस्या का समाधान निकाल लूंगा,
सोहन की यह बात सुनकर सोहन की पत्नी को बड़ा दुख हुआ और वह रोने लगी और सोहन को समझाने लगी उसे दिलासा देने लगी कि सब कुछ सही हो जाएगा थोड़ा सा धैर्य रखिए,
सोहन थोड़ी देर बैठा उसके मन में हलचल से हो रही थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं कैसे व्यवस्था करूं कि कैसे अपना घर चलाऊं उसका मन बेचैन हो रहा था और सोच रहा था की कैसे मैं अपने बच्चो का पेट भरो क्या करूं मैं अपना मन हल्का करने के लिए घर से बाहर निकलता है और अकेले में जाकर कहीं बैठ जाता है,
तभी सोहन को कुछ देर के बाद सड़क पर एक बुजुर्ग इंसान मिलता है और वह बुजुर्ग इंसान कहता है कि बेटा तुम यह सामान मेरे घर तक पहुंचा दोगे मैं बहुत थक चूका हु अब और मुझसे ये बोझा उठाया नहीं जाएगा सोहन भी अपने हालात से परेशान था,
और वह सोचने लगा कि अगर मैं इनका सामान उनके घर तक गांव तक पहुंचा दूंगा तो शायद मुझे कुछ पैसे मिल जाएंगे जिससे मैं अपने बच्चों का पेट भर सकता हूं,
सोहन ने पूरी ईमानदारी के साथ उनका सामान उनके गांव तक उनके घर तक रखवा दिया था बुजुर्ग इंसान सोहन के काम से बड़ा प्रभावित हुआ और उसने कुछ पैसे सोहन को दिए पर वह पैसे इतने भी ज्यादा नहीं थे कि वह अपने बच्चों के लिए कपड़े और मिठाईयां ला सके वह बस दो वक्त का खाना ला सकता था,
इतने पैसे उस बुजुर्ग ने सोहन को दिए थे सोहन फिर उदास रहने लगा और वह बड़ा चिंतित हो गया उसे बड़ा परेशान और चिंतित देख कर उस बुजुर्ग ने सोहन से पूछा कि बेटा तुम्हें क्या हुआ है क्यों इतने परेशान हो तब सोहन ने अपने पूरा किस्सा उस बुजुर्ग को सुनाया और खूब जोर जोर से रोने लगा,
सोहन के हालात देखकर बुजुर्ग अपने घर के अंदर गया और गुड़ के तीन बड़े-बड़े ढीले लेकर आया और उसने सोहन के हाथ में थमा दिए और कहा कि नदी किनारे तुम्हें 3 एक सामान छोटे नारियल के पेड़ दिखाई देंगे उसके ठीक उत्तर दिशा में तुम्हें एक छोटा सा घर मिलेगा उस घर के अंदर तुम्हें फिर तीन बड़े-बड़े आदमी दिखाई देंगे,
और वह बड़े आदमी तुम्हारे हाथ में यह गुड़ का ढीले देखेंगे और तुम से मांगेंगे तुम उनसे इन गुड़ के ठेले के बदले में उनसे चक्की मांग लेना वह तुम्हें चक्की जरूर देंगे क्योंकि उन्हें गुड़ के ठेले बहुत पसंद है चक्की मिलने के बाद तुम्हारी सारी समस्याएं खत्म हो जाएगी,
तुम्हारे अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे और तुम बड़ी ही आसानी से अपने परिवार का पालन पोषण कर सकते हो और एक खुशियांली जिंदगी जी सकते हो बुजुर्ग की बात सुनकर सोहन खुश हुआ और सोहन ने तहे दिल से बुजुर्ग का धन्यवाद किया और उनका आशीर्वाद लेकर वह नदी की और चल दिया,
जब उसने घर का दरवाजा खटखटाया तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया उसने दोबारा खटखटाया तो उसे फिर कोई जवाब नहीं मिला पर उसे थोड़ा दरवाजा खुला दिखा और वह दरवाजा खोल कर अंदर चला गया अंदर जाने के बाद अंदर वाले कमरे में वे तीनों व्यक्ति आराम कर रहे थे,
जैसे ही उन्होंने सोहन को देखा तो उनकी नींद खुल गई और उन्होंने गुस्से में आकर उससे पूछा कि कौन है यह मूर्ख इंसान जो बिना दरवाजा खटखटाया और बिना कोई संदेश दिए हमारे घर में दाखिल हो चुका है और हमारे घर में तुम घुसे कैसे चले आ रहे हो बिना हमारी परमिशन के कौन हो तुम सोहन ने बड़े प्यार से उन तीनों से कहा कि अरे भाई मैं तो तुम तीनों के लिए गुड़ के ठेले लेकर आया हूं,
जो तुम तीनों को दूंगा जिसे तुम बड़े प्यार से खा लेना सोहन के हाथ में गुड़ के ठेले देखकर वह तीनों का गुस्सा शांत हो गया और वह बहुत जोर जोर से हंसने लगे और खुश हो रहे थे एक दूसरे को गले लगा रहे थे कि आज तो हमारे को गुड़ का ठेला मिला है यह तो हमें बहुत पसंद है, ( जादुई चक्की की कहानी )
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तुम कितने अच्छे हो यह सब कह कर सोहन का धन्यवाद करने लगे और कहने लगे कि भाई तुम्हें इन गुड़ के ठेले के बदले जो चाहिए वो मांग लो हम तुम्हें खुशी खुशी दे देंगे सोहन ने उनसे पत्थर की आटे की चक्की मांगी और उन तीनों ने सोहन को वह चक्की दे दी और वह तीनों बड़े ही प्यार से गुड़ के ठेले खाने लगे और सोहन से उन तीनों ने कहा कि देखो भाई यह चक्की कोई मामूली नहीं है चक्की जादुई है ,
इससे तुम जो कुछ भी मांगोगे यह तुम्हें ला करके देगी पर हां एक बात ध्यान रखना यह चक्की एक बार चालू होने के बाद तभी रूकेगी जब इसके ऊपर तुम हरा कपडा डालोगे वरना यह कभी रुकेगी नहीं और इसे तुम्हें लोगों से बचाकर अपने पास रखना है सोहन ने उन तीनों को धन्यवाद दिया और चक्की लेकर वह चुपचाप अपने घर चला आया,
सोहन घर आता है और देखता है कि उसकी पत्नी उसके रहा में उदास दरवाजे किनारे बैठी है और उसके बच्चे भी भूखे ही सो चुके हैं पत्नी की हालत देखकर सोहन ने अपनी पत्नी को पूरा किस्सा सुनाया पत्नी ने सोहन से कहा कि सुनो जी इस चक्की को जमीन में कपड़ा बिछा कर रखो और हम देखते हैं कि यह चक्की सचमुच काम करती है, ( Jadui Chakki Ki Kahani )
या नहीं करती सोहन ने चक्की को कपड़ा बिछाकर जमीन पर रखा और सोहन की पत्नी ने चक्की से कहा कि चक्की चक्की हमें आटा दो तो चक्की ने उसे आटा दे दिया और वह दोनों बहुत खुश हुए ऐसा जादू ही चमत्कार उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था,
सोहन ने चक्की से फिर कहा कि हमें चावल दाल और धीरे-धीरे करके सोहन ने चक्की से जरूरत का सारा सामान मांग लिया इसके बाद सोहन ने उस चक्की पर हरा कपड़ा डालकर उसे ढक दिया और चक्की फिर शांत हो गई उस दिन सोहन के बच्चों ने और सोहन ने पेट भर कर खाना खाया था और बड़ी अच्छी नींद निकाली,
सुबह होते ही सोहन ने चक्की से फिर ढेर सारा अनाज लिया और उसे वह मार्केट में जाकर बेचने लगा धीरे-धीरे सोहन की आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही थी और अनाज बेचकर सोहन ने कुछ पैसे जमा किए और अपना व्यवसाय चालू किया देखते ही देखते दिन साल में गुजर रहे थे और सोहन की स्थिति और अच्छी होती जा रही थी,
उसने गांव में ही एक शानदार बंगला बना लिया और गांव के बगल में खेत खरीद लिया और गाड़ियां खरीद ली और सोहन लोगों की मदद भी करता था दान पुण्य भी करता था देखते ही देखते सोहन की तरक्की के किस्से पूरे गांव में फैल गए जैसे ही यह बात उसके बड़े भाई रोहन को पता चली तो वह सोहन से जल उठा,
और सोहन की तरक्की रोहन बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सोहन इतनी जल्दी इतना बड़ा धनवान व्यक्ति कैसे बन सकता है जो कल तक दो वक्त का खाना नहीं खा पा रहा था आज इतना बड़ा कैसे बन गया और सोचने लगा कि ऐसा क्या कर दिया सोहन ने कि उसके पास मुझसे भी ज्यादा पैसा आ गया ऐसा कौन सा व्यवसाय कर रहा है वह जरा हमें भी तो पता चले ,
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रोहन ने फैसला किया कि मैं भी तो देखूं भला कि यह सोहन मुझसे इतनी जल्दी अमीर कैसे बन गया ऐसा क्या है इसके पास में और रोहन ने एक दिन सोहन के घर जाने का फैसला किया और रात में जब रोहन सोहन के घर पहुंचा तो उसने देखा कि सोहन चक्की के पास बैठा है ,
और चक्की से कह रहा है कि चक्की चक्की मुझे चावल दो रोहन को जरा सी भी देर नहीं लगी समझने में कि सोहन की कामयाबी के पीछे इस चक्की का जरूर बड़ा कोई हाथ है,
और रोहन ने अपने ही दिमाग में एक प्लान बनाया और खुद से कहने लगा कि क्यों ना मैं इस चक्की को चुरा लूं और मैं भी इसकी तरह अमीर बन जाऊं तो मैं भी इससे ज्यादा बड़ा धनवान बन जाऊंगा गांव में भी मेरे इस से ज्यादा चर्चे होंगे और ऐसे ही सपने रोहन देखने लगा,
अगले ही दिन रात के समय चोरी से रोहन सोहन के घर में दाखिल हुआ और रोहन ने देखा कि पूरा परिवार सो रहा है और उसकी नजर चक्की पर गई जो हरे कपड़े से ढकी हुई थी रोहन ने उस चक्की को चुराया और चुरा करके वह अपने घर की ओर भागने लगा भागते भागते वह अपने घर पहुंचा,
रोहन घर आया और अपनी पत्नी से बोला कि तुम सारा सामान अपना बांध लो हमें सुबह होते ही यह गांव छोड़कर कहीं किसी और दूसरे गांव जाना होगा पत्नी ने कहा ऐसा क्यों तो रोहन ने कहा कि मैं तुम्हें सारा किस्सा कल सुबह गांव छोड़ने के बाद ही बता पाऊंगा अभी तुम सामान पैक करो और जल्दी सो जाओ ताकि हमें सुबह जल्दी उठकर यह गांव छोड़ना है ,
रोहन ने अपनी पत्नी और बच्चों को सुबह जल्दी तैयार किया और एक नाव का सहारा लेकर समुंद्र के रास्ते जाने लगा समुंद्र में जाते ही पत्नी से रहा नहीं गया पत्नी ने रोहन से पूछा कि अब तो मुझे बताओ कि ऐसा क्या हुआ है कि हमें सुबह सुबह घर छोड़कर जाना पड़ रहा है
इतना अच्छा हमारा घर है इतने अच्छे लोग हैं हमारे गांव में हम इन सभी को छोड़कर आखिर में जा कहां रहे हैं हमें तो कुछ नहीं पता फिर रोहन ने अपनी पत्नी से कहा कि हम समुंद्र के उस पार एक छोटा सा गांव है जहां मेरा दोस्त रहता है
हम पहले उसके घर जाएंगे और कुछ दिनों के बाद वहीं पर ही हम अपना घर भी बनाएंगे रोहन की पत्नी ने कहा पर ऐसा क्यों और ऐसा क्या है इस ठेले में जो तुम मुझे बता नहीं रहे हो उस थैले के अंदर जादुई चक्की थी,
रोहन ने उस ठेले को खोला और उसमें से वह चक्की निकाल कर दिखाई पत्नी ने बोला कि यह चक्की लेकर जा रहे हो तो रोहन ने कहा कि यह कोई ऐसी वैसी चक्की नहीं है यह जादुई चक्की है और इस जादुई चक्की की वजह से मेरा छोटा भाई सोहन इतना बड़ा और धनवान व्यक्ति बना है,
अब मैं भी इस चक्की का इस्तेमाल कर के मैं अपने छोटे भाई सोहन से भी बड़ा अमीर आदमी बन कर दिखाऊंगा और और अपना पूरे गांव में नाम बनाऊंगा तुम्हें यकीन नहीं होता तो मैं तुम्हें जादुई चक्की का कमाल बताता हूं,
जैसे ही रोहन ने चक्की से कहा कि चक्की चक्की मुझे नमक दो तो चक्की ने नमक देना शुरू कर दिया और रोहन की पत्नी की आंखें फटी की फटी रह गई उसे यकीं नहीं हो पा रहा था वह सच में कहने लगी कि यह तो सच में जादुई चक्की है हम इससे कुछ भी मांगेंगे और यह हमें दे देगी फिर रोहन की पत्नी ने कहा कि चलो इस से हम कुछ और मांग कर देखते हैं,
उसने कहा कि चक्की चक्की मुझे एक हीरे का हार दो ना पर चक्की कहां से देती क्योंकि चक्की तो पहले से ही नमक दे रही थी और रोहन को चक्की बंद करना आता ही नहीं था उसके पास आधा अधूरा ज्ञान था आधे अधूरे ज्ञान होने की वजह से नमक निकलता रहा और पूरी नाव में बढ़ता रहा,
नमक ज्यादा होने की वजह से नाव का भार बढ़ा और नाव समंदर में डूब गई जिसमें रोहन और उसका पूरे परिवार डूब कर मर गया और कहते हैं कि आज भी समंदर में वह चक्की चल रही है और नमक दे रही है इसलिए तो कहा जाता है कि समुद्र का पानी खारा होता है,
रोहन के लालच ने पूरे परिवार को समंदर में डुबो के रख दिया वह कहते हैं ना कि लालच बुरी बला है और उसी लालच का परिणाम रोहन को और उसके पूरे परिवार को भुगतना पड़ा
सीख – ( Jadui Chakki Ki Kahani )
१. चोरी करना किसी को धोखा देना और अपने बुरे कर्म करना यह बुरे कर्मों का नतीजा ही तो है जो इंसान आज इस कलयुग में भुगत रहा है इसलिए कहते हैं लालच बुरी बला है बुराइयों से जितना हो सके उतना दूर रहें एक छोटा सा लालच इंसान को पूरी तरह से बर्बाद करने के लिए काफी हैं,
Conclusion – निष्कर्ष
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राधे कृष्णा