एक गरीब दुख्यारे किसान की कहानी Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं  नमस्कार बंधुओं आज हम लेकर आए हैं एक गरीब  किसान की कहानी  Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi,  इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपके साथ साझा कर रहे हैं कि क्या गरीब होना पाप है क्या गरीबी का कोई महत्व नहीं होता पर गरीब की इमानदारी पर हर कोई व्यक्ति शक करता है, एक गरीब किसान की कहानी, (  एक गरीब  किसान की कहानी  )

Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi

एक गरीब दुख्यारे किसान की कहानी Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi

इस कहानी में एक रमेश नाम का गरीब व्यक्ति होता है जो अपने परिवार के  साथ गरीबी से लड़ रहा होता है क्या उसकी मदद करने के लिए कोई आगे आएगा या उसे ऐसे दुत्कार कर भगा दिया जाएगा जाने के लिए पढ़िए हमारी एक गरीब किसान की कहानी, 

एक गांव में रमेश नाम का एक गरीब व्यक्ति रहा करता था जो बहुत मेहनती था और अपनी मेहनत के बल पर ही वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था रमेश के पास थोड़ी सी खेती थी उसी खेती को वह करके अपना घर गुजारा चला रहा था  खेती में उतना कर लेता था कि वह अपने परिवार का पेट बड़ी आसानी भर सकता था,

और उसी गांव में एक अमीर शहजादा रहा करता था शहजादे की पैतृक संपत्ति उसके पास थी खेत खलियान संपत्तियां भी उसके पास में खूब सारी थी बेशुमार धन दौलत सब कुछ था उसके पास जितना बड़ा उसका खजाना था उतना ही छोटा उसका दिल था, 

वह मजदूरों से खूब काम तो करवाता पर पैसे के नाम पर उन्हें कम पैसे ही देता और साथ में  उन्हें जिल्लत ए दुत्कार ता भी था  वह बहुत बड़ा कंजूस व्यक्ति था पर क्या करें गरीबी के हाल ने मजबूर कर रखा था आधा गांव उसके खेत खलियान में ही काम करता था,

गांव के बचे कुछ लोग रमेश को देख कर  बड़े हैरान होते थे कि यह इतनी सी थोड़ी सी जमीन में इतनी अच्छी फसल कैसे कर लेता है  उसी साल गांव में भयंकर तबाही हुई खूब आंधी तूफान बारिश सब कुछ आया और सब कुछ तहस-नहस करके चला गया उस गांव के हालत इतने बुरे हो चुके थे कि लोगों के पास खाने तक के लिए कुछ नहीं बचा था, 

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उसी में से एक था रमेश जिस की हालत गांव के सभी व्यक्तियों से ज्यादा कमजोर हो चुकी थी जैसे तैसे करके अपना घर का गुजारा कर रहा था एक वक्त के बाद उसके पास वह भी खत्म हो जाता है हालात इतने बुरे हो चुके थे रमेश के पास शहजादे से कर्ज लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था अगले ही दिन शहजादे के पास कर्ज लेने के लिए रमेश जाता है,

Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi

शहजादे ने रमेश की पूरी बात सुनी और उसके मन में लालच जागा क्योंकि वह पहले तू कंजूस था तो उसने सोचा क्यों ना मैं इसे कर्ज देने से बेहतर है कि मैं इसे अपने खेत में ही काम पर लगा लूं क्योंकि अगर मैंने इसे कर्ज दे दिया तो यह कर्ज कहां से लौटा कर देगा इसके पास तो इतना बड़ा खेत भी नहीं है,

उसने रमेश से कहा कि रमेश मैं तुम्हें पैसे तो नहीं दे सकता मैं तुम्हें अपने यहां नौकरी पर रख लेता हूं और मैं तुम्हें सिर्फ ₹2000 महीना के दूंगा पर रमेश ने कहा कि जो दूसरे मजदूर लोग हैं वह काम कर रहे हैं तो उन्हें तो ₹3000 मिलता है और ऊपर से दो गेहूं की बोरी भी अलग से दी जाती है,

शहजादे ने कहा कि देखो रमेश मुझे दूसरों से मतलब नहीं है तुम्हें अगर  काम करना है तो करो वरना मेरे पास में बहुत मजदूर है काम करने के लिए रमेश मरता ना तो क्या करता अपनी मजबूरी और परिवार वालों का पेट पालने के लिए वह शहजादे को हां कर देता है,

रमेश के जाने के बाद  शहजादा बहुत ज्यादा खुश होता है और सोचता है कि अब मैं इससे खूब काम कर आऊंगा क्योंकि इसके किस्से मैंने सुने हैं और इसे ऊपर से पैसे भी कम देने पड़ेंगे मुझे तो डबल फायदा होगा

अगले ही दिन से रमेश शहजादे के यहां पर नौकरी करने लगता है रमेश खेतों में खूब मेहनत करता और उसकी मेहनत के बल पर उसने 6 महीने का काम सिर्फ और सिर्फ 4 महीने में खत्म कर दिया जब यह बात शहजादे को पता चली तो बड़ा खुश हुआ   लेकिन उसके अंदर बेईमानी का ईमान डगमगा गया,

उसने सोचा जब इसने मेरा काम 6 महीने का 4 महीने में कर दिया तो क्यों ना मैं 2 महीने के पैसे बचा लूं और मैं इसे मना कर देता हूं कि अब मुझे तेरी जरूरत नहीं है जब तेरी जरूरत पड़ेगी तब मैं तुझे वापस अपने पास बुला लूंगा पर अभी तू यहां से चला जा जब रमेश अपने तनख्वाह लेने के लिए जाता है, 

एक गरीब दुख्यारे किसान की कहानी Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi (1)

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तो  शहजादा उसे साफ-साफ इंकार कर देता है कि रमेश अब तुम कल से यहां मत आना तुम्हारी अब मुझे कोई जरूरत नहीं रमेश बिचारा शहजादे के खूब हाथ पैर जोड़ता है वह कहता है कि मालिक मुझे नौकरी से मत निकालो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे मैं आपके सहारे ही तो हूं ,

अब मैं कहां जाऊंगा किसके पास जाऊंगा  किसके पास काम मांगने के लिए जाऊंगा और इस गांव में आपके जितना धनवान व्यक्ति और कोई दूजा है भी तो नहीं मालिक मेरी गरीबी पर तो थोड़ा सा रहम खाइए अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो मुझे बता दीजिए या मुझे उसकी कोई सजा दे दीजिए पर मुझे नौकरी से मत निकालिए,

पर उस लालची शहजादे को अपने धनवान होने पर बड़ा घमंड था उसने रमेश के आंसुओं पर बिल्कुल भी तरस नहीं खाया और उसे उल्टा दुत्कार कर भगा दिया और कहने लगा कि रमेश अब तुम मुझे दोबारा यहां देख मत जाना रमेश ने लाख मिन्नतें कि उसके पैर तक छू लिए पर उसका दिल जरा सा भी ना पिघला, 

रमेश बेचारा आंखों में आंसू लेकर चुपचाप अपने घर चला आया पत्नी ने लाख समझाया कोई बात नहीं उपरवाला हमारी मदद करेगा कोई करे या ना करे पर रमेश ने कहा नहीं अभी मुझे जरूरत है मैं कल फिर से सहजादे के पास जाऊंगा और उसे नौकरी की भीख मांग लूंगा इस बार चाहे वह मुझे हजार पंद्रह ₹100 जो भी देगा मैं वह ले लूंगा लूंगा क्योंकि मुझे अपने परिवार का पेट पालना है,

सुबह होते ही रमेश उस शहजादा के घर पहुंच जाता है शहजादा उसे देख कर कहता है मैंने तुम्हें कल ही मना करा था ना कि तुम यहां मत आना अब क्यों आए हो यहां पर रमेश ने कहा साहब मेरे अन्नदाता मेरे मालिक मुझे नौकरी पर रख लो वापस वरना मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे मेरी कुछ मदद करिए आप लाख मिन्नतें करने के बाद भी उस शहजादे ने उसे नौकरी पर रखने के लिए मना कर दिया और उसे फिर दुत्कार कर भगा दिया,

अगले ही दिन वापस व रमेश उम्मीद में जाता है कि आज शहजादा मान जाएगा आज तो मुझ पर कुछ तो दया दिखाएगा पर रमेश ने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ शहजादे ने उसे वापस बुरा भला बोल कर अपने दरवाजे से बाहर कर दिया और अब से यही रोज क्रम चल रहा था लगभग एक हफ्ता बीत चुका था पर रमेश की बातों का उस शहजादे पर कोई असर ही नहीं हो रहा था,

जैसे ही यह बात गांव वालों को पता चली कि रमेश के साथ इतना अत्याचार हो रहा है गांव में लोग बातें करने लगे कि हमारे गांव का शहजादा कितना बुरा इंसान है  कि वह शहजादा उस गरीब इंसान की थोड़ी सी भी मदद नहीं कर सकता  क्या इतना नीचे गिर चुका है वह सहजादा,

जब यह बात शहजादे को पता चले कि उसके बारे में कुछ बातें गांव में फैल रही हैं उसकी चारों तरफ बुराइयां हो रही हैं तो घबरा जाता है और सोचता है कि अब मैं क्या करूं उसके मन में ख्याल आता है कि क्यों ना मैं 10 से 15 दिन के लिए अपने रिश्तेदार के वहां चला जाता हूं,

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तब रमेश यहां आना छोड़ देगा और मैं फिर वापस यहां आ जाऊंगा और  तब तक यहां का पूरा माहौल ठंडा हो जाएगा वह सहजादा रात होते ही अपने पूरे परिवार के साथ अपने रिश्तेदार के यहां चला जाता है जब अगले दिन रमेश उस के घर पहुंचता है, 

तो उसे कोई दिखाई नहीं देता रमेश फिर भी उम्मीद लगाकर वहां बैठा रहता है कि शहजादा थोड़ी देर में आता ही होगा  वक्त तेजी के साथ भी जाता है 10 से 15 दिन कब हो जाते हैं पता ही नहीं चलता और वह शहजादा लौट कर अपने घर आता है,

जब वह शहजादा देखता है कि रमेश वहां उसे दिखाई नहीं देता है तो वह अंदर से बड़ा खुश होता है और सोचता है कि मेरी तरकीब काम आई इस रमेश से मेरा पीछा छूटा,

शहजादे को घर आकर देख कुछ मजदूर लोग सहजादा के पास आते हैं और कहते हैं कि मालिक आप के जाने के कुछ दिनों के बाद ही आपके घर में कुछ लोग चोरी के इरादे से घुसने ही वाले थे पर रमेश वहां हर रोज आपका इंतजार करता था और बैठा रहता था उसकी नजर उन चोरों पर पड़ गई,

और उसने बिना अपनी जान गवाई  वह उन चोरों से अकेला ही भर गया और उसने आपका पूरा घर लूटने से बचा लिया पर हां उस भिड़ंत में वह पूरी  तरह से गंभीर घायल हो चुका है और वह अभी अस्पताल में भर्ती है गांव वालों की बात सुनकर उस शहजादे का थोड़ा सा मन ठंडा पड़ गया उसने सोचा कि मुझे रमेश से मिलना चाहिए,

एक गरीब दुख्यारे किसान की कहानी Ek Garib Kisan Ki Kahani In Hindi (2) (1)

जब वह रमेश से मिलने के लिए अस्पताल पहुंचा तब उसे पता चला कि उसे सुबह ही घर भेज दिया गया है शहजादा भागते हुए रमेश के घर जाता है और रमेश के घर की हालत और रमेश की हालत देखकर उसे बड़ा अफसोस होता है

और रमेश से कहता है मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हें गलत समझा और मुझे अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है मैंने तुम्हारे जैसे नेक ईमानदार बंदे पर इंसान से गलत व्यवहार किया मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था रमेश,

रमेश कुछ कह पाता इतने में शहजादे की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं रमेश कहता है कि मालिक आपने मेरे बारे में सोचा वही मेरे लिए काफी है फिर वह शहजादा रमेश को अपने घर वापस नौकरी पर रख लेता है और उसके घर की हालत पूरी सही कर देता है और इस बार शहजादा रमेश को ज्यादा पैसे देता है इससे रमेश की घर की हालत भी अच्छे हो जाते हैं और रमेश वापस अपना जीवन अच्छी तरह से जीने लगता है

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सीख ( Gareeb Kisan Ki Kahani Seekh )

तो अपना अस्तित्व जीवन में इस तरह से बनाओ कि आपके ऊपर कोई उंगली ना उठा पाए अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करना याद रखना आप पर कोई नजर नहीं रखता इसका मतलब यह नहीं कि ऊपर वाला भी आप पर नजर नहीं रखता जब सारे कैमरे बंद हो जाते हैं तो ऊपर वाले के कैमरे हमेशा चालू रहते हैं हमेशा अच्छे कर्म करते रहो और अपनी ईमानदारी का परिचय देते रहो यही एक असली इंसानियत होने की पहचान है

Conclusion – निष्कर्ष

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह कहानी गरीब किसान की कहानी जरूर पसंद आई होगी अगर आपको हमारी यह कहानी पसंद आती है तो इसे आप अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वह लोग भी इस कहानी के माध्यम से कुछ सीख लें और अपने इरादों को सही दिशा में लेकर जाएं

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राधे कृष्णा

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